नये विचार: उपनिषद, जैन धर्म और बौद्ध धर्म
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान - प्राचीन भारतीय दर्शन की समझ
यह अध्याय प्राचीन भारत में हुए दार्शनिक और धार्मिक विकास का पता लगाता है जिसने ब्राह्मणवाद के जटिल अनुष्ठानों को चुनौती दी। हम उपनिषदों, जैन धर्म और बौद्ध धर्म के बारे में सीखेंगे - छठी शताब्दी ईसा पूर्व में उत्पन्न हुए विचारों की तीन क्रांतिकारी प्रणालियाँ।
उपनिषद: प्राचीन दार्शनिक ग्रंथ
उपनिषद क्या हैं?
'उपनिषद' शब्द का अर्थ है गुरु के 'पास बैठकर' गुप्त ज्ञान प्राप्त करना। ये ग्रंथ वेदों के दार्शनिक भाग बनाते हैं।
मुख्य तथ्य: 800-500 ईसा पूर्व के बीच विभिन्न संतों और ऋषियों द्वारा 108 उपनिषद लिखे गए।
मुख्य शिक्षाएं
- ब्रह्म और आत्मा: "संपूर्ण सृष्टि ब्रह्म है और ब्रह्म ही आत्मा है" - ईश्वर (ब्रह्म) हर जगह है और हमारे अंदर भी हमारी आत्मा (आत्मा) के रूप में
- आत्मा का संचरण: मृत्यु के बाद आत्मा का पुनर्जन्म होता है
- जीवन का लक्ष्य: पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करना
- जीवन शैली: सादा जीवन और सही कर्म
वैश्विक महत्व
उपनिषदों ने यूरोपीय विद्वानों को आकर्षित किया और फारसी, अंग्रेजी, फ्रेंच और अन्य भाषाओं में अनुवादित किए गए, जिससे वे विश्व साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए।
जैन धर्म: अहिंसा का मार्ग
संस्थापक: वर्धमान महावीर
मुख्य शिक्षाएं: तीन रत्न (त्रिरत्न)
| रत्न | अर्थ |
|---|---|
| सम्यक दर्शन | महावीर की शिक्षाओं में विश्वास |
| सम्यक ज्ञान | दुनिया की वास्तविक प्रकृति को समझना |
| सम्यक चरित्र | पाँच व्रतों का पालन करना |
पाँच महाव्रत
- अहिंसा: किसी भी जीव को चोट न पहुँचाना
- सत्य: झूठ न बोलना
- अस्तेय: चोरी न करना
- अपरिग्रह: संपत्ति न रखना
- ब्रह्मचर्य: संयम
जैन धर्म के मुख्य संप्रदाय
| संप्रदाय | प्रथा |
|---|---|
| दिगंबर | "आकाश-वस्त्र" - साधु कपड़े नहीं पहनते |
| श्वेतांबर | "सफेद-वस्त्र" - साधु सफेद कपड़े पहनते हैं |
बौद्ध धर्म: मध्यम मार्ग
संस्थापक: सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध)
चार आर्य सत्य
- संसार दुखों से भरा है (दुख)
- दुख का कारण इच्छा (तृष्णा) है
- इच्छाओं को समाप्त करके दुख को रोका जा सकता है
- दुख को समाप्त करने का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है
अष्टांगिक मार्ग
1. सम्यक दृष्टि
2. सम्यक संकल्प
3. सम्यक वाणी
4. सम्यक कर्म
5. सम्यक आजीविका
6. सम्यक प्रयास
7. सम्यक स्मृति
8. सम्यक समाधि
अन्य महत्वपूर्ण शिक्षाएं
- कर्मकांड और बलिदान के विरुद्ध
- जाति व्यवस्था को अस्वीकार किया
- ईश्वर के अस्तित्व के बारे में मौन
- कर्म और पुनर्जन्म में विश्वास
- अहिंसा पर जोर दिया
बौद्ध धर्म का प्रसार
बौद्ध धर्म अशोक, कनिष्क और हर्ष जैसे राजाओं के समर्थन से भारत और विदेशों में व्यापक रूप से फैला। यह श्रीलंका, म्यांमार और एशिया के कई हिस्सों तक पहुँचा।
निष्कर्ष: ये "सरल धर्म" क्यों थे?
| पहलू | हिंदू धर्म (ब्राह्मणवाद) | जैन धर्म और बौद्ध धर्म |
|---|---|---|
| भाषा | जटिल संस्कृत | सरल प्राकृत (आम लोगों की भाषा) |
| कर्मकांड | महंगे बलिदान और समारोह | सरल व्यक्तिगत आचरण और ध्यान |
| पहुंच | ब्राह्मणों द्वारा नियंत्रित | सभी के लिए खुला, जाति की परवाह किए बिना |
मुख्य बात: जैन धर्म और बौद्ध धर्म जटिल ब्राह्मणवाद के विकल्प के रूप में उभरे, जो जटिल अनुष्ठानों पर व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास पर जोर देते हैं।
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